संघर्श पत्रिका नई दिल्ली।
एक क्रूरतम सच्चाई का दस्तावेज
- अजय नावरिया
सिर पर मैला ढोने की प्रथा मानव सभ्यता की सबसे क्रूरतम प्रथा है । जो कि हजारों साल से आज भी बदस्तूर जारी है। इसके अतिरिक्त दलित मुक्ति का प्र न भी आज एक महत्वपूर्ण प्रश्न के रूप में उभरकर सामने आया है। संजीव खुदशाह ने सफाई कामगार समुदाय पर एक गम्भीर और शोध परख पुस्तक प्रस्तुत कि है। यह पुस्तक इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि इसमें मैला प्रथा की शुरूआत कहां से हुई और कैसे यह वाल्मीकि जाति की पहचान के साथ जुड़ गई। यह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है और इसमें सभी सामाजिक कार्यकर्ताओं को एक समझ बनाने के लिए पढ़ना चाहिए।
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